Indicators on shiv chalisa lyricsl You Should Know

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

बृहस्पतिदेव की कथा

कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।

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स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

हनुमान चालीसा लिरिक्स

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।

अर्थ: Shiv chaisa हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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